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कपास की गुलाबी इल्ली या सुंडी से बचने के उपाय। फसल लगाने से पहले एक बार जरूर पढ़ें।

किसान मित्रों पिछले साल कपास में गुलाबी इल्ली के भयानक प्रकोप के कारण, इस बार पहले से ही गुलाबी इल्ली का नियंत्रण करना अत्यधिक जरुरी हो गया है। आप तो जानते ही है की हमारा देश विश्व में कपास का दूसरे नंबर का निर्यातक देश है पर बीटी कॉटन टेक्नोलॉजी आने से पहले गुलाबी इल्ली को कंट्रोल करना हमारे किसानो के लिए सबसे बड़ी समस्या थी। उस समय कपास का उत्पादन करना बहुत मुश्किल काम था। आज कपास में गुलाबी इल्ली के प्रकोप को देख कर लगता है की कहीं ना कहीं आज के समय में भी उन्हीं परिस्थतियो का निर्माण हो रहा है। इसलिए अब सही समय पर गुलाबी इल्ली के नियंत्रण के लिए उपाए करना बहुत जरुरी है। इसीलिए किसान भाइयो आने वाले साल में अगर कपास की अच्छी फसल लेनी है तो निम्नलिखित कुछ बातो को ध्यान में रखना होगा।

कपास की गुलाबी इल्ली के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाना है बेहद जरूरी।

1) रिफ्यूजी कॉटन बीज : सबसे पहले तो आप लोगो के लिए ये ध्यान रखना बहुत जरुरी है की आप बीटी कॉटन के साथ आये हुए रिफ्यूजी कॉटन बीज के पैकेट का सही इस्तेमाल करें ज्यादातर किसान भाई ये छोटा पैकेट फेंक देते है। जोकि बीटी कॉटन टेक्नोलॉजी के विरुद्ध है इसे कपास के खेत के चारो और सही तरीके से लगाना चाहिए।

2) फेरोमोन ट्रैप : किसान मित्रों आपके लिए ये जानना बेहद आवश्यक है की कपास के पेड़ में फूल लगने से पहले ही फेरोमोन ट्रैप को कपास के खेत में लगाना बेहद जरुरी हैं। एक एकड़ में कम से कम 3 से 4 ट्रैप लगाना जरुरी है, फेरोमन ट्रैप के अन्दर आप लोग जो ल्युर याने कप्सुल लगाने वाले है उसे सही समय पर बदलना बेहद जरुरी है क्योंकि ल्युर के अंदर से जो विशेष प्रकार की गंध निकलती है कुछ समय के बाद वो कम हो जाती है और नर पतंगा उसकी तरफ आकर्षित नहीं होता है। इसलिए ल्युर को सही समय पर बदलना बेहद जरुरी हो जाता है। इसके अलावा ये भी ध्यान रखें की ट्रैप की ऊंचाई कपास के पेड़ से कम से कम १ फीट होनी चाहिए और जैसे जैसे पेड़ की ऊंचाई बढ़ती जाये ट्रैप की ऊंचाई भी बढ़ाते जाएँ। ल्युर को बदलते समय ध्यान रक्खें की वो आपके हाथो के संपर्क में ना आए इसलिए दस्तानो का प्रयोग करें।

3) कीटनाशकों का उपयोग : किसान मित्रों आज के समय में कीटनाशकों का उपयोग करना बेहद जरुरी हैं। और एक अच्छे कीटनाशक का चुनाव करना भी। डेनिटोल आपकी सभी उम्मीदों पर बिलकुल खरा उतरता है। डेनिटोल एक ऐसी तकनीक से बना प्रोडक्ट है जो गुलाबी सुंडी (इल्ली) पर पूरी तरह नियंत्रण करता है। दोस्तों गुलाबी सुंडी या इल्ली आपके कपास के टिंडे में नुकसान करना शुरू करती है और शुरुवाती दौर में ये कपास के फूल पर पायी जाती है। ये फूल से कपास के परागकण खाने के साथ-साथ जैसे ही कपास का टिंडा तैयार होता है ये उसके अंदर चली जाती है और टिंडे के अंदर के कपास के बीज को खाना शुरू कर देती है। इस कारण कपास का टिंडा अच्छी तरह से तैयार नहीं हो पाता है और कपास में दाग लग जाता है जिससे कई बार जब हम टिंडे से कपास निकालते है तो काला कपास निकलता है जो बाजार में बेचने लायक नहीं होता। इसी कारण गुलाबी सुंडी या इल्ली जब भी नुकसान पहुंचाती है हमें पूरा टिंडा खोना पड़ता है और हमारी फसल की उपज को नुकसान पहुंचता है।

डेनिटोल का उपयोग कैसे करें : आइये अब हम जानते की डेनिटोल का उपयोग कपास की फसल में कैसे करना है। गुलाबी सुंडी या इल्ली के रोकथाम के लिए आपको डेनिटोल के कम से कम 3 छिड़काव करने होंगे, आइये जानते है की ये छिड़काव आपको कब और कितनी मात्रा में करने है। कपास की बुआई के 40 से 45 दिन में कपास की फसल में फूल अवस्था पाई जाती है। जैसे ही आपके कपास में 20 से 30% फूल आना शुरू हो जाता है उसी दौरान आपको 15 लीटर पानी में 40 मिली डेनिटोल लेकर उसका छिड़काव आपको अपनी कपास की फसल पर पहला छिड़काव करना है। इस पहले छिड़काव के बाद आपको डेनिटोल का दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 13 से 15 दिन के बाद करना है। इस छिड़काव की मात्रा भी 40 मिली प्रति 15 लीटर पानी में ही रहेगी। तीसरा छिड़काव आपको दूसरे छिड़काव के 15 दिन बाद करना है इस छिड़काव की मात्रा भी 40 मिली प्रति 15 लीटर पानी में ही रहेगी।

डेनिटोल इस्तेमाल करने के फायदे : भारत के कई प्रदेशो में किसानो ने डेनिटोल का इस्तेमाल करके गुलाबी इल्ली या सुंडी से 100 प्रतिशत छुटकारा पाया है ज्यादा जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट www.danitolindia.com देखे और निचे दिए गए वीडियो को अच्छी तरह से देखे।

धन्यवाद किसान भाइयो।

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