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2020 में कपास की फसल को गुलाबी इल्ली से बचाने के उपाय
पिछले 3-4 सालों से गुलाबी सुंडी या इल्ली का हर साल फसल पर हमला देखने को मिल रहा है. इसके शुरू में ही कंट्रोल करना पड़ता है. अगर इस कीट को लेकर किसान जरा सी भी लापरवाही करते हैं तो पूरी फसल चौपट हो सकती है. महाराष्ट्र में इसका ज्यादा असर देखने को मिलता है। कपास की फसल पर पिछले साल गुलाबी इल्ली (पिंक बालवर्म) का ऐसा कहर बरपा कि किसानों की उम्मीद तार-तार हो गई। gulabi illi ( pink bollworm) ki Dawai
कपास की खेती करने का आधुनिक तरीका, यहां पढ़िए पूरी जानकारी
कपास की खेती नगदी फसल के रूप में होती है. इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. इसकी खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है. बाजार में कपास की कई प्रजातियाँ आती हैं, जिनसे ज्यादा पैदावार मिलती है. सबसे ज्यादा लम्बे रेशों वाली कपास को अच्छा माना जाता है.
कपास की खेती कैसे करें, पढ़िए उन्नत किस्में, जलवायु तथा उपज के बारे में…
कपास की खेती भारत की सबसे महत्वपूर्ण रेशा और नगदी फसल में से एक है. और देश की औदधोगिक व कृषि अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाता है. कपास की खेती लगभग पुरे विश्व में उगाई जाती है. यह कपास की खेती वस्त्र उद्धोग को बुनियादी कच्चा माल प्रदान करता है. भारत में कपास की खेती लगभग 6 मिलियन किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर आजीविका प्रदान करता है और 40 से 50 लाख लोग इसके व्यापार या प्रसंस्करण में कार्यरत है.
कपास की खेती कैसे करें – पूरी जानकारी यहाँ लें
कपास की पैदावार नगदी फसल के रूप में की जाती है. कपास को बाज़ार में बेचने पर किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है. जिस कारण उनकी आर्थिक हालत में काफी सुधर आता है.आज इसकी पैदावार भारत के ज्यादातर हिस्सों में की जा रही है. कपास की आज कई तरह की प्रजातियाँ बाज़ार में पाई जाती हैं. जिनसे अधिक मात्रा में पैदावार प्राप्त होती है. सबसे लम्बे रेशों वाली कपास को सबसे सर्वोतम माना जाता है. जिसकी पैदावार तटीय इलाकों में ज्यादा होती है. Continue reading