कमी खर्चात जास्त फायदा..तत्काळ परिणामकारक

पिछले 3-4 सालों से गुलाबी सुंडी या इल्ली का हर साल फसल पर हमला देखने को मिल रहा है. इसके शुरू में ही कंट्रोल करना पड़ता है. अगर इस कीट को लेकर किसान जरा सी भी लापरवाही करते हैं तो पूरी फसल चौपट हो सकती है. महाराष्ट्र में इसका ज्यादा असर देखने को मिलता है। कपास की फसल पर पिछले साल गुलाबी इल्ली (पिंक बालवर्म) का ऐसा कहर बरपा कि किसानों की उम्मीद तार-तार हो गई। gulabi illi ( pink bollworm) ki Dawai
कपास की खेती नगदी फसल के रूप में होती है. इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. इसकी खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है. बाजार में कपास की कई प्रजातियाँ आती हैं, जिनसे ज्यादा पैदावार मिलती है. सबसे ज्यादा लम्बे रेशों वाली कपास को अच्छा माना जाता है.
कपास की खेती भारत की सबसे महत्वपूर्ण रेशा और नगदी फसल में से एक है| और देश की औदधोगिक व कृषि अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाता है| कपास की खेती लगभग पुरे विश्व में उगाई जाती है| यह कपास की खेती वस्त्र उद्धोग को बुनियादी कच्चा माल प्रदान करता है| भारत में कपास की खेती लगभग 6 मिलियन किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर आजीविका प्रदान करता है और 40 से 50 लाख लोग इसके व्यापार या प्रसंस्करण में कार्यरत है| Continue reading
आइए गुलाबी इल्ली के बारे में जानते है
गुलाबी इल्ली एक कीट होता है। इसका एक वैज्ञानिक नाम पैक्टीनीफोरा गोंसीपीला है। ये अपने जीवनकाल के दौरान अलग-अलग प्रकार के चार अवस्थाओं से गुजरता है। सामान्य रूप से फल में कलियां व फूल आने के बाद ही इस कीट का उपद्रव शुरू होता है। कई बार कीटग्रस्त फूलों की पखुड़ियां आपस में मिल जाती है। यह दूर से देखने पर गुलाब की पखुड़ी की तरह ही दिखाई देती है। अंडे में निकली छोटी- छोटी इल्लीयां फूल व छोटे गोल्स में सूक्ष्म छिद्र बनाकर उनके अंदर आसानी से प्रवेश कर जाती है। इससे फूल व गोल्स गिर जाते है। इससे फसलों को सीधा नुकसान भी होता है। Continue reading